Wednesday, 18 March 2015

" इन्सान , घर बदलता है ... लिबास बदलता है ... रिश्ते बदलता है ... दोस्त बदलता है ... फिर भी परेशान क्यों रहेता है .... क्योकि वो खुद को नहीं बदलता ... " इसलिए मिर्ज़ा ग़ालिब ने कहा था : "उमर भर ग़ालिब.. यही भूल करता रहा,,, धूल चहेरे पे थी और आईना साफ करता रहा!!!"

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