Wednesday, 12 March 2014
श्री हनुमान चालीसा श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुर सुधारी बरनौ रघुबर बिमल जसु, जो दायकू फल चारि बुध्दि हीन तनु जानिके सुमिरौ पवन कुमार | बल बुध्दि विद्या देहु मोंही , हरहु कलेश विकार || चोपाई जय हनुमान ज्ञान गुन सागर | जय कपीस तिहुं लोक उजागर || राम दूत अतुलित बल धामा | अंजनी पुत्र पवन सुत नामा || महाबीर बिक्रम बजरंगी| कुमति निवार सुमति के संगी || कंचन बरन बिराज सुबेसा | कानन कुण्डल कुंचित केसा || हाथ वज्र औ ध्वजा विराजे| काँधे मूंज जनेऊ साजे|| संकर सुवन केसरी नंदन | तेज प्रताप महा जग बंदन|| विद्यावान गुनी अति चातुर | राम काज करिबे को आतुर || प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया | राम लखन सीता मन बसिया || सुषम रूप धरी सियहि दिखावा | बिकट रूप धरी लंक जरावा || भीम रूप धरी असुर संहारे | रामचंद्र के काज संवारे || लाय संजीवन लखन जियाये | श्रीरघुवीर हरषि उर लाये || रघुपति कीन्हीं बहुत बड़ाई | तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई || सहस बदन तुम्हरो जस गावे | अस कही श्रीपति कंड लगावे || सनकादिक ब्रह्मादी मुनीसा| नारद सारद सहित अहीसा || जम कुबेर दिगपाल जहा ते| कबि कोबिद कही सके कहा ते|| तुम उपकार सुग्रीवहीं कीन्हा | राम मिलाय रज पद दीन्हा || तुम्हरो मंत्र विभेक्षण माना | लंकेश्वर भए सब जग जाना || जुग सहस्र योजन पर भानू | लील्यो ताहि मधुर फल जाणू || प्रभु मुद्रिका मेली मुख माहीं| जलधि लांघी गए अचरज नाहीं|| दुर्गम काज जगत के जेते | सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते || राम दुआरे तुम रखवारे | होत न आग्यां बिनु पैसारे || सब सुख लहै तुम्हारी सरना | तुम रक्षक काहू को डरना || आपण तेज सम्हारो आपे | तीनों लोक हांक ते काँपे || भुत पिसाच निकट नहिं आवो | महावीर जब नाम सुनावे || नासौ रोग हरे सब पीरा | जपत निरंतर हनुमत बीरा || संकट से हनुमान छुडावे | मन क्रम बचन ध्यान जो लावै|| सब पर राम तपस्वी राजा | तिन के काज सकल तुम साजा || और मनोरथ जो कोई लावे | सोई अमित जीवन फल पावे || चारों जुग प्रताप तुम्हारा | है प्रसिद्ध जगत उजियारा || साधु संत के तुम रखवारे | असुर निकंदन राम दुलारे || अष्ट सिद्धि नौनिधि के दाता | अस बर दीन जानकी माता || राम रसायन तुम्हरे पासा | सदा रहो रघुपति के दासा || तुम्हरे भजन राम को पावे | जनम जनम के दुःख बिस्रावे || अंत काल रघुबर पुर जाई | जहा जनम हरी भक्त कहाई || और देवता चित्त न धरई | हनुमत सेई सर्व सुख करई|| संकट कटे मिटे सब पीरा | जो सुमिरै हनुमत बलबीरा || जय जय जय हनुमान गोसाई | कृपा करहु गुरु देव के नाइ || जो सत बार पाट कर कोई | छूटही बंदी महा सुख होई || जो यहे पड़े हनुमान चालीसा | होय सिद्धि साखी गौरीसा || तुलसीदास सदा हरी चेरा | कीजै नाथ हृदये मह डेरा || दोहा पवन तनय संकट हरन, मंगल मूर्ति रूप | राम लखन सीता सहित , ह्रुदय बसहु सुर भूप .
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